उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भाजपा की जीत की पीछे केंद्र की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को भी वजह माना जा रहा है। राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों ने ऑल वेदर रोड को खूब प्रचारित किया था। अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर पर उत्तराखंड में हाईवे डेवलपमेंट की झलक दिखायी है। गडकरी ने ऑल वेदर रोड के सुरक्षित और दमदार होने का दावा किया है। हालांकि, इन तस्वीरों में दिख रहे पहाड़ों के सीधे खड़े कटाव इस परियोजना को लेकर जतायी जा रही पर्यावरण चिंताओं को पुख्ता करते हैं।
शुक्रवार को नितिन गडकरी ने नेशनल हाईवे-7 के कौड़ियाला-देवप्रयाग मार्ग के दो फोटो ट्वीट करते हुए ऑल वेदर रोड को राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का उदाहरण बताया। पहाड़ को काटकर बनाए गये हाईवे की शानदार तस्वीरें लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। इसे पीएम मोदी के विजन से जोड़कर देखा जा रहा है। हाईवे निर्माण को गति देने के लिए नितिन गडकरी की भी प्रशंसा हो रही है, लेकिन पहाड़ के खड़े कटाव की वजह से भूस्खलन का खतरा भी साफ दिखायी दे रहा है।
मानसून सीजन में उत्तराखंड में चट्टानों के खिसकने और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। डबल लेन चारधाम हाईवे के लिए बड़े पैमाने पर पहाड़ों के कटाव और पेड़ों के कटने से यह खतरा बढ़ गया है। इसे लेकर पर्यावरणविद लगातार अपनी चिंताएं जता रहे हैं।
दिसंबर, 2016 में घोषित हुई 889 किलोमीटर की ऑल वेदर रोड परियोजना शुरुआत से ही पर्यावरण की अनदेखी को लेकर विवादों में रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था। लेकिन गत दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चारधाम परियोजना की सड़कों को 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दे दी थी। तब से परियोजना का काम तेजी से चल रहा है।
12 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना के पूरा होने से चारधाम के साथ-साथ सीमावर्ती इलाकों तक पहुंच आसान हो जाएगी। इससे उत्तराखंड में पर्यटन और आर्थिक विकास को बल मिलेगा। कुल 889 किलोमीटर के चारधाम प्रोजेक्ट में से लगभग 724 किलोमीटर की सड़कों का काम पूरा हो चुका है।
पर्यावरण मंजूरी के झंझट से बचने के लिए पूरी परियोजना को 53 हिस्सों में बांटा गया है जिसमें से 38 हिस्सों का काम लगभग पूरा हो चुका है। नितिन गडकरी ने ऑल वेदर रोड की जिन तस्वीरों को ट्वीट किया है, वे देखने में भले ही शानदार लग रही हैं लेकिन इस परियोजना से हिमालय के इको-सिस्टम को होने वाले नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता है।
ऑल वेदर रोड के लिए पहाड़ों में ज्यादा विस्फोट और पेड़ों के अंधाधुंध कटान का पर्यावरणविदों ने काफी विरोध किया था, लेकिन सरकार की इच्छा के सामने ये चिंताएं टिक नहीं पायीं। इस मामले पर गठित हाई पावर कमेटी में भी सड़क की चौड़ाई को लेकर काफी मतभेद थे। समिति के अध्यक्ष पर्यावरणविद रवि चोपड़ा 5.5 मीटर की अपेक्षाकृत कम चौड़ी मगर टिकाऊ सड़क बनाने के पक्ष में थे। लेकिन समिति के ज्यादातर सदस्यों ने 12 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की सरकार की मंशा का समर्थन किया।
पिछले महीने रवि चोपड़ा ने ऑल वेदर रोड के निर्माण को लेकर आगाह करते हुए हाई पावर कमेटी से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि जिस तरह हिमालय के संवेदनशील इको-सिस्टम की अनदेखी कर पहाड़ों और पेड़ों को काटा जा रहा है वह भीषण तबाही को न्योता देगा। चारधाम हाईवे की तस्वीरों में भी इस चेतावनी की झलक देखी जा सकती है।
ऑल वेदर रोड की असली परीक्षा मानसून सीजन में होगी। उत्तराखंड में मानसून के दौरान भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं। हाल के वर्षों में ऑल वेदर रोड के निर्माण के चलते कई जगह भारी भूस्खलन हुआ। जिस तोताघाटी के हाईवे की तस्वीरें नितिन गडकरी ने शेयर की हैं, वहां पिछले साल पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर सड़क पर आ गिरा था। बरसात के दौरान ऑल वेदर रोड पर कई जगह आवाजाही बंद हो गई थी।
